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लक्ष्य पूरा करने की वार्षिक लागत 600 से एक हजार करोड़ डॉलर के बीच
रिपोर्ट के प्रधान संपादक रिचर्ड कोनोर ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि लक्ष्यों को पूरा करने की अनुमानित वार्षिक लागत कहीं न कहीं 600 करोड़ डॉलर से एक हजार करोड़ डॉलर के बीच है. कोनोर ने कहा कि हालांकि उतना ही महत्वपूर्ण निवेशकों, वित्तपोषकों, सरकारों और जलवायु परिवर्तन समुदायों के साथ साझेदारी करना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पैसा पर्यावरण को बनाये रखने के तरीकों में लगाया जाये और उन दो अरब लोगों को पीने योग्य पानी मिल पाये, जिनके पास सुरक्षित पेयजल नहीं है, साथ ही 36 लाख लोगों को स्वच्छता तक पहुंच सुनिश्चित की जा सके. इसे भी पढ़ें : पाकिस्तान">https://lagatar.in/news-of-9-people-killed-in-earthquake-in-pakistan-more-than-180-people-injured/">पाकिस्तानमें भूकंप से 11 लोगों के मारे जाने की खबर, 180 से ज्यादा लोग घायल
शहरी क्षेत्रों में ही पानी की मांग सबसे अधिक बढ़ रही है
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 40 वर्षों में विश्व स्तर पर पानी का इस्तेमाल लगभग एक प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ रहा है और ‘‘जनसंख्या वृद्धि, सामाजिक-आर्थिक विकास और बदलते खपत पैटर्न के कारण इसके 2050 तक इसी दर से बढ़ने की संभावना है. कोनोर ने कहा कि मांग में वास्तविक वृद्धि विकासशील देशों और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में देखी जा रही है, जहां औद्योगिक विकास और जनसंख्या में तेजी से वृद्धि के संकेत मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में ही मांग सबसे अधिक बढ़ रही है. कोनोर कहा कि वैश्विक स्तर पर 70 प्रतिशत पानी का इस्तेमाल कृषि क्षेत्र में फसलों की सिंचाई को अधिक कुशल बनाने के लिए होता है. इसे भी पढ़ें : सदन">https://lagatar.in/kurta-tearing-uproar-in-the-house-it-raid-in-deoghar/">सदनमें कुर्ता फाड़ हंगामा, देवघर में आईटी की दबिश, जदयू की राष्ट्रीय कमेटी से त्यागी की छुट्टी, जय श्रीराम से गूंजा हजारीबाग समेत कई अहम खबरें पढ़ें अपने प्रिय अखबार शुभम संदेश में